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प्रबोधिनी गुरुकुल – भारतीय सांस्कृतिक शिक्षा की पुनर्प्रतिष्ठा

इस पोस्ट में हम Karnataka के Chickmagalur में स्थित प्रबोधिनी गुरुकुल के बारे में जानेंगे इस गुरुकुल में बच्चों को शास्त्रों का अध्ययन कराया जाता है बल्कि नैतिक मूल्यों, आत्मानुशासन, स्वाध्याय व राष्ट्रीयता की भावना को भी आत्मसात कराया जाता है। अगर आप भी कर्नाटक से हैं या किसी अन्य राज्य से भी हैं और कर्नाटक के इस गुरुकुल में अपने बच्चों को प्रवेश दिलाना चाहते हैं एवं इस गुरुकुल के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो इस पोस्ट को पढ़ें और सभी जानकारी प्राप्त करें।

प्रबोधिनी ट्रस्ट की स्थापना 23 फरवरी 1979 को एक स्वस्थ, आदर्श समाज की रचना के उद्देश्य से की गई थी। यह ट्रस्ट कर्नाटक राज्य के चिक्कमंगलूर ज़िले में सामाजिक व शैक्षणिक सेवा गतिविधियों में संलग्न है। ट्रस्ट का मुख्यालय चित्रकूट में पवित्र तुंग नदी के तट पर स्थित है, जो पश्चिमी घाट की हरियाली से आच्छादित है। यहीं पर आदिगुरु शंकराचार्य जी ने तप किया था और श्री शारदा दक्षिणाम्नाय पीठ की स्थापना की थी।

प्रबोधिनी गुरुकुल इस ट्रस्ट का प्रमुख प्रकल्प है, जो लगभग 10 एकड़ हरियाली से भरे परिसर में फैला हुआ है। इस संस्थान का उद्देश्य शिक्षा के माध्यम से भारत की सांस्कृतिक विरासत को पुनर्जीवित करना है। यहां के छात्र न केवल शास्त्रों का अध्ययन करते हैं, बल्कि नैतिक मूल्यों, आत्मानुशासन, स्वाध्याय व राष्ट्रीयता की भावना को भी आत्मसात करते हैं।

गुरुकुल के उद्देश्य:

  • एक स्वस्थ और नैतिक समाज की स्थापना
  • युवाओं में छिपी हुई आंतरिक शक्ति को जाग्रत करना
  • राष्ट्रीयता और आत्मगौरव की भावना को प्रोत्साहित करना
  • व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास
  • आत्म-अध्ययन, आत्म-चिंतन, अनुशासन और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना
  • श्रेष्ठ आचरण की प्रेरणा देना

उच्च शिक्षा:

प्रबोधिनी गुरुकुल में पंचमुखी शिक्षण प्रणाली के अंतर्गत बच्चों को पाँच वर्षों तक विविध विषयों में मूल ज्ञान प्रदान किया जाता है। इसके बाद छात्रों को योग और कृषि जैसे भारतीय जीवन से जुड़े विषयों में उच्च शिक्षा दी जाती है। कृषि को जीवन का मूल आधार मानते हुए यहां के छात्रों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से कृषि के प्रति रुचि विकसित की जाती है।

योग को भी एक जीवन विज्ञान के रूप में पढ़ाया जाता है। यह गुरुकुल योग को एक सार्वभौमिक विज्ञान के रूप में विश्वपटल पर पुनः स्थापित करने का कार्य कर रहा है। छात्रों को अन्य विश्वविद्यालयों से मान्यता प्राप्त डिग्री प्राप्त करने की सुविधा भी उपलब्ध है।

प्रवेश की पात्रता:

  • गुरुकुल में पाँच वर्षों की शिक्षा प्राप्त कर चुके छात्र, जिन्हें आचार्यगण उनकी रुचि व क्षमता के अनुसार चुनते हैं।
  • एसएसएलसी उत्तीर्ण छात्र जिनके पास संस्कृत का मूल ज्ञान है, वे भी साक्षात्कार के माध्यम से प्रवेश पा सकते हैं।

आपकी सहायता से बनेगा भारत आत्मनिर्भर

प्रबोधिनी गुरुकुल भोजन, शिक्षा और चिकित्सा जैसी आवश्यक सुविधाएँ पूर्णतः नि:शुल्क प्रदान करता है। हमारा विश्वास है कि यह हमारी सांस्कृतिक परंपरा का अंग है। यदि आप इस राष्ट्र निर्माण के कार्य में सहभागी बनना चाहते हैं तो अपना योगदान अवश्य दें।

आपके योगदान आयकर की धारा 80-G के अंतर्गत कर मुक्त हैं।

संपर्क करें:

मोबाइल: 9448007005 / 9845071185
ईमेल: prabodhinigurukula@gmail.com
पता: चित्रकूट, हरिहरपुरा – 577120, कोप्पा तालुका, चिक्कमंगलूर जिला, कर्नाटक राज्य, भारत

Important Links

एडमिशन से जुड़ी जानकारीClick Here
प्रबोधिनी गुरुकुल के ऑफिसियल वेबसाइटClick Here
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